जयपुर की एक जानी-मानी फार्मा कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर अरविंद सैनी को इंटरनेट के जरिए जालसाजी में फंसाया गया। अरविंद सैनी को 40 करोड़ की लौटरी लगने के ई-मेल आए और फिर मिला 7 रुपए, 20 पैसे का चैक। आप अरविंद की जुबानी ही जानें, आखिर हुआ क्या था - 'मुझे ई-मेल से 10 मिलियन डॉलर (40 करोड़ रुपए) की लॉटरी अपने नाम लगने की बात कही गई। जब लॉटरी का चैक मंगवाने के लिए मैंने अपना पता संबंधित कंपनी को भेजा, तो न्यूयॉर्क से मुझे उन्होंने मात्र 18 सेंट (7 रुपए 20 पैसे) का चैक भेज दिया। साथ ही कंपनी ने मुझे शेष रकम लेने के लिए 300 डॉलर (12 हजार रुपए) देने की बात भी कही। जब उन्होंने 10 मिलियन डॉलर की लॉटरी के बदले ही 7.20 पैसे भेजे, तो मुझसे 12 हजार लेने के बाद क्या भेजते? मैंने दोस्तों से बात की, तो उन्हें भी इस तरह के प्रस्ताव मिल चुके थे, लेकिन पैसा कभी नहीं मिला था।'
ऐसे ही मामलों पर कार्रवाई में जुटे दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम चीफ एसीपी एस.डी.मिश्रा से मेरी बातचीत हुई। मिश्रा का कहना था, 'लोटो लॉटरी स्कैम, 419, एडवांस फी रैकेट और ब्लैक डॉलर्स इन दिनों चल रहे जबरदस्त घोटाले हैं। इस तरह की धोखाधड़ी वाले ई-मेल में किए गए वादे गलत होते हैं। ये ई-मेल भेजने वाले खतरनाक अपराधी होते हैं। इस धन का उपयोग गैर-कानूनी गतिविधियों में किया जा रहा है। ऐसे मामलों में तुरंत स्थानीय पुलिस को शिकायत करनी चाहिए।'
...हो सकता है ऐसे जालसाजी से भरेपूरे ई-मेल आपको आते हों, तो कभी भी अपनी निजी जानकारियां, बैंक खातों की जानकारियां, फोन नंबर इन्हें नहीं दें। मैंने इस सारे मामले की पड़ताल करने के लिए कई जालसाजों को अपनी जानकारियां अपनी रिस्क पर सौंपी, लेकिन आप ऐसा नहीं करें।
फिर मिलेंगे, किसी नई खोज के साथ...शुक्रिया
9 comments:
अब यह बात जगजाहिर हो चुकी है कि ऐसे मेल फर्ज़ी होते है इनके मिलते ही इनकी सूचना पुलिस को देनी चाहिये ताकि इनके खिलाफ कार्यवाही की जा सके ।
nice
तीन साल पहले का चेक है, इसीलिए कुछ मिल गया।
आजकल तो फूटी कौड़ी नहीं मिलती
बी एस पाबला
मैँ तो ऐसी मेल्ज़ को सीधे स्पैम में डाल देता हूँ
मैं तो ऐसी मेल लीडरों को फारवर्ड कर देता हूं...(पर वे फिर भी उतने के उतने ही अमीर हैं...) इससे सिद्ध होता है कि उनमें भी दिमाग है.
और हां, आपके 18 सेंट भी 90 दिन के वैध चैक से 3 साल बाद आए... मुबारक..
लालच बुरी बला है भैया इसलिए हम तो इन्हें सीधे स्पैम में डालकर छुट्टी पाते हैं.
दिन में कम से कम बीस ईमेल इस प्रकार की आती होंगी...लेकिन हम तो बिना पढे ही उसे सीधा कचरे के डिब्बे में डाल देते हैं ।
प्रवीण जी, आपका ब्लॉग वाकई रोचक है. हालांकि अब इस तरह के मामले जग जाहिर हो चुके हैं. फिर भी नए उजर्स को ध्यान में रखते हुए आप आलेख सराहनीय है.
ब्लोगिंग एक सेवा है, एक मिशन है.
धन्यवाद!
बहुत अच्छी जानकारी, आपकी छवी के अनुरूप, हमारे अवध का प्राचीनतम इतिहास बताता है कि वहाँ कभी ऐसी घटना नहीं हुई, और आपकी पोस्ट पढके तो अब होगी भी नहीं,
चलते चलते आज बता दूं अलबेली लालटेन पहली बार कई दिन से बुझी हुई है और ब्लागवाणी बोर्ड पर नज़र मार लेना फिर चटका मारके एलान कर देना मेरा "अवधिया चाचा" से दूर से भी कोई सम्बन्ध नहीं है
अवधिया चाचा
जो कभी अवध ना गया
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