ई-उपभोक्ता देवो भव!

उपभोक्ता अब नए रूप में उभर रहा है। वह हाईटेक है और दुनिया की हर चीज को पलों में खरीदने में सक्षम भी। मजबूती से उभर रहे ई-कंज्यूमर पर रिपोर्ट।

दुनिया मुट्ठी में कैद हो सकती है!' बात सुनने में जरा अटपटी है, लेकिन युवा भारत का 'आम आधुनिक उपभोक्ता' अब कुछ ऐसा ही सोचता है। वह सऊदी के खजूर, लंदन का इत्र और स्विट्जरलैंड की चॉकलेट घर बैठे खरीद रहा है। अपने प्यार के इजहार भरा फूलों का गुलदस्ता घर से ही ऑर्डर करता है और अपने बाऊजी का नया मोबाइल, मां की घड़ी, बहन के सोने के कंगन तक की खरीद बस पलक झपकते ही कर लेता है। क्योंकि अब उसे लाला का भाव-ताव और सामान की ढुलाई रास नहीं आती। खरीदारी के लिए जेब में भरे नोट भारी लगते हैं और कैशलैस रहना उसे पसंद आने लगा है। सुई खरीदनी हो या हवाई जहाज का कोई पुर्जा, बस चंद मिनटों की दूरी पर उसे मिल जाते हैं। क्योंकि वह इंटरनेट के जरिए अब अपनी पसंद और ख्वाहिशें बस एक क्लिक में पूरी करने में सक्षम हो गया है।
(इसे विस्तार से पढऩे के लिए कृपया चित्र पर क्लिक करें। शुक्रिया)
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6 comments:

अज्जु कसाई said...

प्रवीन देवो भव!

Arvind Mishra said...

वसुधैव कुटुम्बकम

Udan Tashtari said...

आज तो यही जमाना है..

Gyan Darpan said...

इन्टरनेट मौजूद ठगों के चलते अभी भी लोग ई खरीदारी से बचते है पर धीरे धीरे विश्वास जमने पर इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है कुछ व्यवसाय तो होते ही ऑनलाइन है |

मेरी नजर में ई खरीदारी बहुत बढ़िया है इसमें हमारा समय बच जाता है |

prithvi said...

प्रवीण सा,
आप तो छाये हुए हैं. पत्रकारिता से लेकर लेखन तक. सुन्दर ब्लॉग और सुन्दर प्रस्तुतीकरण .. लगे रहें, शुभकामनायें !

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

युग परिवर्तन.

ब्रह्माण्ड का नियम है.